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Chandrayaan 3 Mission Kya Hai? क्या इसका उद्देश्य और लागत? एक ही पोस्ट में जाने सम्पूर्ण जानकारी

Chandrayaan 3: हर इंसान के मन में प्रकृति को लेकर हमेशा से ही जिज्ञासा रही है हर कोई यह जानना चाहता है कि पृथ्वी के बाहर की दुनिया किस तरह से दिखाई देती है। आपने देखा होगा कि हमेशा कवी और साहित्यकार भी चांद के विषय में बात करते हैं उसकी खूबसूरती को लेकर हमेशा से बात की जाती है।

वही वैज्ञानिक भी चांद के बारे में जानकारी लेने के लिए अपनी जिंदगी लगा देते हैं अमेरिका ने भी कई बार चांद पर जाने का मिशन प्रोग्राम लांच किया लेकिन वे पहली बार में सफलतापूर्वक वहां नहीं पहुंच पाए लेकिन इसी के विपरीत भारतीय वैज्ञानिकों ने पहली बार में ही अपने चंद्रयान मिशन में सफलता हासिल की थी।

क्या इंसानों ने कभी यह विचार किया था कि वह कभी चांद पर पहुंच पाएंगे लेकिन आज के आधुनिक जमाने में चांद पर पहुंचना काफी हद तक मुमकिन है आपने भारत के चंद्रयान मिशन के बारे में तो सुना ही होगा चंद्रयान-1 को पहली बार सक्सेसफुली चांद पर पहुंचाया गया था।

भारत के दो चंद्रयान मिशन पूरी तरह से सक्सेसफुल साबित हुए हैं लेकिन दूसरे वाले मिशन में थोड़ी गड़बड़ी का सामना करना पड़ा था लेकिन आखिरकार हमारा मिशन अधूरा ही सही पर कुछ हद तक कामयाब था।

वही अब भारत ने अपने चंद्रयान मिशन -3 को लॉन्च किया है क्या आप जानते हैं चंद्रयान 3 मिशन क्या है? चंद्रयान-3 मिशन के क्या उद्देश्य है? चंद्रयान मिशन -3 बनाने में कितनी लागत आई है? चंद्रयान मिशन -3 से जुड़े कई विचार आज आपके दिमाग में जन्म ले रहे होंगे तो चलिए आज इस लेख में हम आपके सभी सवालों के जवाब एक संपूर्ण जानकारी के साथ देने वाले हैं तो चलिए शुरू करते हैं।

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चंद्रयान मिशन -3 मिशन क्या है? (What is chandrayaan-3 mission?)

दोस्तों, चंद्रयान मिशन -3 बिल्कुल चंद्रयान मिशन -2 का फॉलोअप भी कह सकते हैं अगर आप साइंस में रुचि रखते हैं तब आपने आज से 4 साल पहले सन 2019 में भेजे गए chandrayaan-2 मिशन के बारे में तो सुना ही होगा। चंद्रयान 3 मिशन पूरी तरह से chandrayaan-2 मिशन का फॉलोअप है।

इस मिशन के तहत लेंडर की सॉफ्ट लैंडिंग के साथ ही रोवर को सतह पर चला कर देखा जाएगा। सबसे मुश्किल घड़ी होती है कि लेंडर को सफलतापूर्वक चाँद पर उतारना होता है। जब chandrayaan-2 लॉन्च किया गया था तब विक्रम लैंडर की हार्ड लैंडिंग में थोड़ी सी समस्या आ गयी थी जिसके बाद इसरो के साइंटिस्ट को एक गहरा झटका लगा था।

आज chandrayaan-3 में सभी बातों का ध्यान रखते हुए और सभी खामियों को पूरा करते हुए इसे सफलतापूर्वक चांद पर छोड़ा गया है। इसरो द्वारा मिली जानकारी के अनुसार, चंद्रयान मिशन -3 की पहली ऑर्बिट मैन्यूवरिंग सफलतापूर्वक पूरी कर ली गई है चंद्रयान बिल्कुल सही ट्रैक पर जा रहा है और उसके सभी उपकरण फिलहाल सफलतापूर्वक काम कर रहे है। chandrayaan-3 ने अंतरिक्ष यान को उसकी कक्षा में आगे बढ़ाने का पहला चरण पूरा कर लिया है।

चंद्रयान मिशन -3 का उद्देश्य क्या है? (What is the objective of chandrayaan-3 mission?)

Chandrayaan-3 का पहला और मुख्य उद्देश्य लेंडर को चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करवाना है जोकि chandrayaan-2 में सफलतापूर्वक नहीं हो पाया था। chandrayaan-3 का मुख्य उद्देश्य chandrayaan-2 के अधूरे कार्य को पूरा करना है चंद्रयान मिशन -3 चांद की थर्मल कंडक्टिविटी के साथ ही दक्षिणी ध्रुव के पर्यावरण का विश्लेषण करेगा जोकि हमें चंद्रमा के बारे में और भी विस्तार से जानने में मदद करेगा और आगामी भविष्य में होने वाले चंद्र मिशन में काफी अहम साबित होगा।

इस बार चंद्रयान मिशन -3 में क्या बदलाव किए गए है? (What changes have been made in chandrayan -3?)

चंद्रयान मिशन -2 की खामियों को देखते हुए इस बार चंद्रयान मिशन -3 में कई तरह के बदलाव देखने को मिले हैं:- जैसे कि इसके लैंडर में पिछली बार से अधिक संवेदनशील सेंसर का इस्तेमाल किया गया है इसके लैंडर के थ्र्स्टर में भी काफी बदलाव किया गया है।

चंद्रयान मिशन -3 की लॉन्चिंग कब है? (When the chandrayan will be launched?)

दोस्तों chandrayaan-3 को ऑलरेडी 14 जुलाई 2023 को लांच कर दिया गया है इसकी लॉन्चिंग दोपहर 2:35 पर की गई थी chandrayaan-3 को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर के लॉन्च पेड से लांच किया गया था।

चंद्रयान मिशन -3 की यात्रा फिलहाल काफी लंबी होने वाली है chandrayaan 3 करीब 50 दिन की यात्रा के बाद चाँद के दक्षिणी ध्रुव के पास लैंड करेगा। इसरो ने लगभग 24 अगस्त तक chandrayaan 3 के चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने का अनुमान लगाया है। आपको जानकर हैरानी होगी कि अगर चंद्रयान की दक्षिणी ध्रुव पर लैंड कर जाता है तो ऐसा करने वाला भारत पहला देश साबित होगा।

चंद्रयान मिशन -3 की लॉन्चिंग के लिए कौन से LVM का इस्तेमाल किया गया है? (Which LVM will be used to launch chandrayan?)

“भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन” द्वारा chandrayaan 3 की लॉन्चिंग के लिए LVM-3M4 लांचर का निर्माण किया गया है। LVM-3 की खास बात यह है कि यह भारी सैटेलाइट को भी अंतरिक्ष में छोड़ सकता है। इसका वजन 642 टन है इसकी ऊंचाई की बात करें तो यह करीब 143 फीट ऊंचा है। फिलहाल यह LVM-3 राकेट की चौथी सबसे बड़ी उड़ान होगी।

चंद्रयान मिशन -3 के निर्माण में कितनी लागत आई है? (How much it costs on chandrayaan?)

Chandrayaan 3 के निर्माण के लिए इसरो को 615 करोड़ रुपए की लागत आई है। Chandrayaan 3 की सबसे खास बात यह है कि इस बार ऑर्बिटर को चाँद पर नहीं भेजा जा रहा है बल्कि स्वदेशी प्रोपल्शन मॉड्यूल (indigenous propulsion module) चाँद पर भेजा जा रहा है। यही मॉड्यूल लेंडर और ओवर को चांद की कक्षा तक लेकर जाएगा और इसके बाद चांद की 100 किलोमीटर की कक्षा पर घूमता रहेगा।

मॉड्यूल का वजन लगभग 2145 किलोग्राम इसमें लगभग 1696 किलोग्राम का इंधन लगाया गया है। अगर केवल इस मॉड्यूल के वजन की बात करें तो यह केवल 448.62 किलोग्राम का होगा।

भारत में पहली बार चंद्रयान कार्यक्रम की घोषणा कब की गई थी? (When for the first time chandrayaan program was declared?)

Chandrayaan 3 कार्यक्रम की घोषणा हमारे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई द्वारा 15 अगस्त, 2003 को की गई थी। पहली बार chandrayaan 1, (PSLV c11 रॉकेट) के जरिए लांच किया गया था जिसके पार्ट को साइकिल के माध्यम से ले जाया गया था।

चंद्रयान-1 को 22 अक्टूबर 2008 के समय लांच किया गया था जो कि एक सफल मिशन साबित हुआ था। चंद्रयान-1 ने 100 किलोमीटर की ऊंचाई पर चंद्रमा के चारों ओर परिक्रमा करके हमारे लिए अहम जानकारी जुटाई थी जिसके बाद 2009 में यान की कक्षा को 200 किलोमीटर तक बढ़ा दिया गया था।

साल 2009, 29 अगस्त वह दिन था जब चंद्रयान 1 से हमारा संपर्क पूरी तरह से टूट चुका था इसके बाद हमें अगला मिशन लॉन्च करने में करीब 11 साल का समय लगा और उसके बाद चंद्रयान मिशन -3 में महज कुछ ही सालों का समय लगा।

महज 3 वर्ष के अंतराल में ही chandrayaan-2 के अधूरे कामों को पूरा करने के लिए chandrayaan-3 को धरती से लांच कर दिया गया है। chandrayaan-2 के समय विक्रम लैंडर की नाकामयाबी की वजह से भारतीय लोगों का सपना पूरी तरह से टूट गया था लेकिन इस बार सभी बातों को ध्यान में रखते हुए chandrayaan 3 को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया गया है।

चन्द्रयान 3 की कामयाबी भारत को कहां ले जाएगी?

Chandrayaan 3 के सफलतापूर्वक लॉन्च हो जाने के बाद सभी भारतीयों ने उल्टी गिनती गिनना शुरू कर दिया है और सभी को उस दिन का इंतजार है जब लेंडर चाँद की कक्षा तक पहुंच जाएगा। दोस्तों आपको बता दें कि अगर chandrayaan 3 सफलतापूर्वक चांद की कक्षा तक पहुंच जाता है तब भारत चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग में महारत हासिल करने वाला दुनिया का चौथा बड़ा देश बन जाएगा। अमेरिका, चाइना और रशिया के बाद अब सबकी निगाहें भारत पर टिकी हुई है।

वर्तमान में ISRO के प्रमुख कौन है?

जानकारी के माध्यम से बता दें कि फिलहाल इसरो के प्रमुख “एस सोमनाथ” है। वही इसरो संगठन में होने वाले सभी कार्यों को लेकर जिम्मेदार है। सातवें वेतन आयोग के अनुसार, उनका वर्तमान वेतन ₹250000 प्रति माह के करीब है।

इसके अलावा उन्हें गवर्नमेंट की तरफ से सभी फैसिलिटी उपलब्ध कराई जाती है जिनमें उनके आवास से लेकर अन्य कई फैसिलिटी शामिल है। साथ ही उन्हें मिशन के दौरान सिक्योरिटी भी प्रोवाइड की जाती है।

यदि एस सोमनाथ की शिक्षा की बात करें तो उन्होंने “टीकेएम कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग, कोल्लम” से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की “बीटेक डिग्री” हासिल की है।

इसके अलावा उन्होंने “आईआईएससी बेंगलुरु से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग” में स्नातक की उपाधि ली है। एस सोमनाथ जी ने साल 1985 को एक वैज्ञानिक के तौर पर अपना करियर शुरू किया था।

चंद्रयान 1 के समय पीएसएलवी के इंटीग्रेशन के दौरान टीम लीडर की भूमिका निभाने वाले व्यक्ति एस सोमनाथ ही थे। साल 2022 में सोमनाथ जी को इसरो का प्रमुख बनाया गया था। इसके आलावा “लॉन्चिंग व्हीकल” के विकास में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

एस सोमनाथ जी इसरो के प्रमुख होने के अलावा एक धार्मिक व्यक्ति भी है वे ईश्वर पर अटूट विश्वास रखते हैं चंद्रयान मिशन -3 के पूर्व उन्होंने “परमेश्वरीनि देवी” के मंदिर जाकर पूजा अर्चना की थी इसके अलावा लॉन्चिंग से पूर्व उन्होंने “तिरुमला तिरुपति बालाजी” मंदिर जाकर ईश्वर से मिशन की सफलता की कामना की थी।

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