HomeToday NewsSWIFT J0230: वैज्ञानिकों ने आकाशगंगा में देखा एक नया तारा, मगर ब्लैक-होल...

SWIFT J0230: वैज्ञानिकों ने आकाशगंगा में देखा एक नया तारा, मगर ब्लैक-होल के मुंह में समा रहा, आकार में है सूर्य के बराबर

SWIFT J0230 : विस्फोट के मॉडल के माध्यम से एक जानकारी निकल कर सामने आ रही हैं | खगोलविदों ने आकाशगंगा में एक ऐसे तारे को स्पॉट किया हैं, जो आकर में लगभग सूर्य के बराबर हैं और लगभग 500 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर एक ब्लैक होल द्वारा ‘बार-बार खंडित और निगला’ जा रहा है | इस घटना के कारण लगभग हर 25 दिनों में प्रकाश का नियमित विस्फोट उत्पन्न होता था, जिसे लीसेस्टर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के द्वारा देख गया हैं |

ऐसा कहा जाता हैं, ब्लैक-होल का विस्फोट जिसे आमतौर पर ज्वारीय व्यवधान की घटनाओं के रूप में जाना जाता है यह तब होता हैं जब कोई तारा ब्लैक होल में समां जाता हैं | लेकिन इस तारा में बार बार प्रकाश उत्पन्न हो रहा हैं अर्थात बार-बार प्रकाश के उत्सर्जन का मतलब यह की यह यह तारा आंशिक रूप से नष्ट हो रहा हैं | शोधकर्ताओं के अनुसार, इसमें जिस भी मामलों पर बार बार विस्फोट हो रहा हैं उसमे दो प्रकार हैं- 1) जो हर साल होता हैं और 2) जो हर कुछ घंटो में होता हैं |

यह भी पढ़े 

स्विफ्ट J0230

लीसेस्टर विश्वविद्यालय के शाधकर्ताओं की टीम के द्वारा यह कहा गया हैं की तारे के बार बार टूटने के इस मामले में प्रकाश उत्सर्जन की घटना 25 दिनों में एक बार हो रही थी | इस तारे को स्विफ्ट J0230 से नामंकित किया गया हैं | यह अपेक्षा के अनुरूप क्षय होने की बजाय, 7 से 10 दिनों के लिए चमकना शुरू कर देता था, और फिर अचानक बंद हो जाता | इस तारे के साथ यह प्रक्रिया हर 25 दिनों में होती हैं |

शोधकर्ताओं कहना हैं कि नेचर एस्ट्रोनॉमी पत्रिका में प्रकाशित इसके काम ने हर किसी को यह समझ में ला दिया हैं की परिक्रमा करने वाले तारे जो हैं वो ब्लैक होल के द्वारा कैसे बाधित होते हैं | डॉ. रॉबर्ट आइल्स-फेरिस जिन्होंने हाल ही में लीसेस्टर विश्वविद्यालय से अपनी पीएचडी की हैं, उनका कहना हैं की ‘अतीत में हमने जो भी प्रणालियां देखी हैं, उनमें से अधिकांश में तारा पूरी तरह से नष्ट हो गया है | लेकिन J0230 आंशिक रूप से नष्ट हो रहा है जो की एक रोमांचक घटना हैं |

यह भी पढ़े 

स्विफ्ट J0230

यूनिवर्सिटी ऑफ लीसेस्टर स्कूल ऑफ फिजिक्स एंड एस्ट्रोनॉमी के डॉ फिल इवांस और इसके अध्ययन के मुख्य लेखक का कहना भी हैं की ऐसा पहली बार हो रहा हैं जब हमने सूर्य के बराबर तारे को बार-बार कम द्रव्यमान वाले ब्लैक होल द्वारा टुकड़े-टुकड़े होते और समाप्त होते हुए देखा हैं | स्विफ्ट J0230 विस्फोट के मॉडल के माध्यम से यह सुझाव दिया गया हैं की एक तारा जो की सूर्य के बराबर हैं वो कम द्रव्यमान वाले ब्लैक-होल के पास एक अण्डाकार कक्षा में चक्कर लगा रहा था |

स्विफ्ट J0230 का द्रव्यमान हमारी तीन पृथ्वियों के बराबर था, जो की अब धीरे धीरे ब्लैक होल में गिर कर गरम हो गया हैं | ब्लैक होल में बहुत ज्यादा गर्मी होती हैं इसका अनुमान लगभग 2,000,000C (3,600,000F) लगाया गया हैं | यह बड़ी मात्र में एक्स-रे को छोड़ती है, जिन्हें सबसे पहले नासा के नील गेहरल्स स्विफ्ट वेधशाला द्वारा देखा गया था | शोधकर्ताओं के द्वारा लगाए गए अनुमान के अनुसार, ब्लैक होल सूर्य के द्रव्यमान का लगभग 10,000 से 100,000 गुना है, जो की छोटे आकार में एक सुपरमैसिव ब्लैक होल बनाता है |

यह भी पढ़े 

सारांश 

मैं आशा करता हूँ की आपको मेरी यह जानकारी पसंद आई होगी, अगर आपको मेरी यह जानकारी पसंद आई होगी तो आप इसे लाइक करे और अपने दोस्तों, फॅमिली और ग्रुप में जरुर शेयर करे ताकि उन्हें भी इसकी जनकारी मिल सके |

धन्यवाद !!!

WhatsApp's Group Join Now
Telegram Group  Join Now
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular