भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो ने 23 अगस्त 2023 को शाम के समय चंद्रयान 3 को चांद की सतह पर सुरक्षित उतारा गया था, जिसके बाद भारत को पूरी दुनिया ने लोहा माना | चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला भारत पहला देश बना | चंद्रयान 3 के रोवर प्रज्ञान को लेकर एक बहुत बड़ी खबर सामने आ रही हैं | इसरो ने यह जानकारी दी हैं की अब हमारा रोवर प्रज्ञान चाँद पर सो गया हैं अर्थात उसने अब काम करना बंद कर दिया है |
इसरो ने सभी देशवासियों को यह भी जानकारी दी हैं की हमारा रोवर प्रज्ञान अब सुरक्षित रूप से एक जगह पर खड़ा कर दिया गया हैं | प्रज्ञान रोवर चाँद की सतह पर पहुचकर लगातार नयी नयी तस्वीरों को भेज रहा था | इसा माना जा रहा हैं की अब चाँद पर 22 सितंबर को सूर्योदय होगा जिसके बाद से रोवर प्रज्ञान फिर से जाग उठेगा और अपना काम करना शुरू कर देगा | मिली जानकारी एक अनुसार चाँद पर जहाँ 14 दिन की रात होती हैं वही 14 दिन का सुबह होता हैं इसलिए हमारे प्रज्ञान रोवर को एक जगह पर पार्क कर दिया गया हैं |
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इसरो प्रमुख ने दी बड़ी जानकारी
भारतीय स्पेस सेन्टर इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने चंद्रयान 3 को लेकर एक बहुत बड़ी जानकारी देश के लोगों के साथ साक्षा किये हैं | उन्होंने यह बताया हैं की चंद्रयान 3 का रोवर और लैंडर अभी भी ठीक से काम करने में सक्षम हैं इसके सतह ही अभी भी रोवर पूर्ण रूप से इसका बैटरी चार्ज हैं | इसका सौर पैनल 22 सितंबर 2023 से ही अगले सूर्योदय के बाद काम करने में सफल रहा हैं |
इसरो के अनुसार, चंद्रयान 3का रिसीवर अभी भी चालु रखा गया हैं | इसके असाथ ही साथ इसके कार्य का दूसरा चरण भी सफलतापूर्वक फिर से उठने की संभावना में हैं | ऐसे में देश के सभी नागरिक के मन में अब उम्मीद सी हैं की हमारा अब दोनों पहलवान जागकर नयी नयी खोज को करेगा | जिसके बाद खोज करने पर इसे#Pragyan सोशल मीडिया पर भी ट्रेंड करता दिखाई देगा और अभी भी दिखाई दे रहा हैं |
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12 दिन में ही चांद पर छाया अंधेरा
चंद्रयान-3 के प्रोजेक्ट डायरेक्टर पी वारमुथूवेल ने 2 दिन में चांद पर छाया अधेरा के सवाल पर यह बताया हैं कि हम पहले के दो और आखिरी के दो दिनों को इसमें शामिल नहीं कर सकते हैं क्योकि 22 अगस्त को लुनार डे शुरू हुआ था | चंद्रयान 3 ने दूसरे दिन यानी 23 अगस्त को लैंड किया था उसके बाद उन्होंने यह जाकारी दी हैं की सिस्टम को चालु रखने के लिए सूरज के एलिवेशन यानी सोलर एनर्जी की आवश्यकता होती है तथा इसे साथ ही साथ 6 डिग्री एलिवेशन एंगल की भी जरुरत होती हैं | जिससे की सोलर पैनल काम करने की स्थिति में होंगे |
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सारांश
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